बाबा हरभजन सिंह का जनम
बाबा हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 पंजाब में हुआ था | हरभजन सिंह 24 वि पंजाब रेजिमेंट के जवान थे जो की 1966 में आर्मी में भर्ती हुए थे | बाबा हरभजन सिंह को “हीरो ऑफ नाथू ला” के नाम से भी जाना जाता है | यह बस 22 वर्ष के थे जब इनकी मृत्यु हो गई लेकिन मृत्यु के बाद भी इनकी पगार हर महीने सरकार इनके घर पर भेजती है | आइए जानते है आखिर इतने खास क्यों है बाबा हरभजन सिंह |
आखिर कैसे हुई इनकी मौत
बाबा हरभजन सिंह जब खच्चर पर बैठकर नदी पार कर रहे थे तो खच्चर सहित वह भी नदी में बह गए और उनकी शव बहुत आगे निकल गई 2 दिन के तलाशी के बाद भी उनका शव नहीं मिला तो उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया लेकिन वह एक दिन अपने दोस्त के सपने में आकर उनकी शव का ठिकाना बताए और अगले ही दिन जब जवान वह बताए हुए ठिकाने पर पहुँचे तो हरभजन सिंह का शव उसी जगह पर मिला | बाबा हरभजन सिंह 4 अक्टूबर 1968 के दिन सिक्किन के गांव नाथू लाल में शहीद हुए थे | लेकिन इसके बाद भी वो अपनी ड्यूटी निभाते थे |
शाहिद होने के बाद भी करते हैं देश की सेवा
सैनिकों का कहना है कि यह अक्सर उनके सपने में आकर दुश्मनों के तरफ से होने वाली हमले के बारे में बता देते हैं और दूसरी तरफ अगर बाबा हरभजन सिंह को कोई भारतीय सेना का हमला करने का मूवमेंट पसंद नहीं आता हो तो वह चीन के सैनिकों के सपने में आकर बता देते हैं ताकि बात आगे जाकर ना बिगड़े और मामला शांति से सुलझ जाए | आप इस पर यकीन करें या ना करें लेकिन चीन के सैनिक और भारतीय सैनिक इस पर विश्वास करते हैं इसलिए चीन और भारत के बीच होने वाले फ्लैग मीटिंग में एक खाली कुर्सी हरभजन सिंह के लिए छोड़ी जाती है ताकि वह भी यह मीटिंग को अटेंड कर सकें |
शहीद होने के बाद बाबा हरभजन सिंह आज भी अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभाते हैं | इसकी पगार भी हर साल उनके घर भेजी जाती हैं | अगर कोई जवान ड्यूटी के वक्त रात को सोता भी है तो बाबा हरभजन सिंह उसके पास आकर जोर का चांटा मारते हैं जिससे कि वह अपनी ड्यूटी पर ध्यान रख सके |
बाबा हरभजन सिंह की मंदिर
ऐसी चमत्कार देखने के बाद बाबा हरभजन सिंह के नाम से सिक्किम में मंदिर स्थापित किया गया इस मंदिर के अंदर बाबा हरभजन सिंह का सामान और एक उनकी फोटो रखी गई है | मंदिर में एक ऐसा कमरा है जिसमें प्रतिदिन सफाई करके बिस्तर लगाया जाता है बाबा को आराम करने के लिए | जिसमें बाबा की वर्दी और जूते भी रखे जाते हैं | कहा जाता है कि सुबह होते ही जब वह सफाई कर्मचारी फिर से उनके रूम में जाते हैं तब जूते में कुछ कीचड़ लगे रहते हैं |
हर साल मिलती हैं छुट्टी
हर साल बाकी जवानों की तरह बाबा हरभजन सिंह को भी छुट्टी दिया जाता है और उनका सामान को उनके घर पंजाब में पहुंचाया जाता है | उनकी सीट के नीचे उनका सामान रखा जाता है और उनकी सीट को खाली छोड़ा जाता है बाकी के 3 सैनिक जो उनकी सामान ले जाते हैं वह अलग बोगी में रहते हैं | जब बाबा छुट्टी पर होते थे तब बॉर्डर पर हाई अलर्ट जारी कर दिया जाता था क्योंकि उस समय सैनिकों को बाबा से मदद नहीं मिल पाती थी | अगर बॉर्डर पर ज्यादा तनाव हो तो उनकी छुट्टी कैंसिल करनी पड़ती थी जिस कारण बाबा हरभजन सिंह 12 महीने ड्यूटी पर रहते हैं | बाबा हरभजन सिंह को 1964 में महावीर चक्र से भी सम्मानित किया जा चूका हैं |
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धन्यबाद





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