पृथ्वी हमारे सौरमंडल का तीसरा और केवल ऐसा ग्रह जिस पर जीवन संभव है पृथ्वी की संरचना लगभग 430सौ करोड़ साल पहले हुई थी पर पृथ्वी का अंत कब होगा और कैसे होगा इसका सही-सही अनुमान अभी तक कोई नहीं लगा पाया है हम बात करने वाले हैं ऐसी थेओरिस की जो कि हमें बताएंगे कि पृथ्वी पर जीवन का अंत किस तरह से हो सकता है यह थेओरिस 100% सच नहीं है फिर भी यह हमें झलक दे सकती हैं पृथ्वी का अंत किस तरह से हो सकता हैं
शुद्रग्रह से टकराव
शुद्रग्रह शत्रु ग्रह यानि एस्टेरॉइड पहले हम जानेंगे कि शुद्र ग्रह क्या होता है और यह ब्रह्मांड में कहां पर है शुद्र ग्रह एस्टेरॉइड वह पत्थर है जो कि ब्रह्मांड में घूम रहे हैं और जो कि हमारे सौरमंडल के ग्रहों की भांति सूर्य की परिक्रमा करते हैं वैसे तो यह पूरे ब्रह्मांड में है पर दोस्तों हमारे सौरमंडल में यह मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच में एस्टेरोइड बेल्ट में पाए जाते हैं और जिस में करोड़ों एस्टेरॉइड है तो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं ऐसा ही एक एस्टेरोइड अपोफिस जो कि माना जा रहा था कि धरती से 2036 में टकराएगा और जो कि 300 मीटर चौड़ा था यूं तो इसका आकर काफी छोटा था पर यह अगर तेजी से टकराता तो इतनी ऊर्जा पैदा होती है जो कि आइटम बम से लगभग 100000 गुना ज्यादा होती है और जो की धरती पर जीवन को नष्ट करने के लिए काफी थी लेकिन हमारे वैज्ञानिकों का अनुमान उसके समय को लेकर गलत निकला और वह साल 2013 में पृथ्वी के पास से निकल गया आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि एक एस्टेरोइड जिसका डायमीटर 20 से 80 किलोमीटर का हो और वह धरती से टकराए तो धरती पर पूरे जीवन को नष्ट कर सकता है और सबसे बड़ा एस्टेरोइड जो एस्टेरोइड बेल्ट में घूम रहा हैं उसका डीएमटीर व्यास लगभग 525 किलोमीटर का है
ज्वालामुखी का फटना
ज्वालामुखी के फटने ने धरती पर जीवन को बहुत बार अस्त व्यस्त किया है और काफी भारी भरकम नुकसान पहुंचाया है माउंट तंबोरा ज्वालामुखी जो कि इंडोनेशिया में स्थित है उसने 1816 में अप्रैल के महीने में बहुत भारी तबाही मचाई और उसमें लगभग 92000 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और इसके फटने से ज्वालामुखी की लंबाई 13000 फ़ीट से घटकर 9000 फ़ीट होगी थी और ज्वालामुखी का अक्सर इस वही 92078 नहीं रहा इसके फटने से आसमान में रह गई गैसों के कारण वातावरण में तापमान कम रह गया और जिस से फसलें नष्ट हो गई और जो की और एक साथ लोगों की मौत का कारण बनी दोस्तों ने तबाही केवल एक सामान्य ज्वालामुखी की वजह से हुई थी सोचिए अगर नॉर्मल ज्वालामुखी की जगह सुपर वोल्केनो फट जाए तो बहुत भारी तबाही होगी
नस्ट होते सितारे
यु तो रात में टीम टिमाते हुए सितारे बहुत सुन्दर लगते हैं पर यह भी ढाती पर जीवन को नष्ट करने का कारण बन सकते हैं जब दो नष्ट होते हुए सितारे आपस में मिलने लगते हैं तो वह गामा किरणों का एक सुपरनोवा बनाते हैं और जो कि इतनी शक्तिशाली और चमकदार होती है कि हमारी धरती को कुछ पलों में ही नष्ट कर सकती है हमारी धरती ही नहीं अपने दायरे में आने वाली हर चीज को चाँद सेकंड में नष्ट कर देती है ववैसे ब्रह्माण्ड में यह प्रक्रिया होती रहती है पर यह प्रक्रिया धरती से बहुत दूर होती है इसलिए हमारी धरती और सौर मंडल पर उसका असर नहीं पड़ता इन दो नष्ट होती सितारों के मिलने से इतनी गमा किरणे निकलती है की इनकी ऊर्जा हमारे सूरज से लगबघ एक करोड़ गुना ज्यादा होती है और अगर यह प्रक्रिया धरती से 1000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हो तो धरती इसकी रोशनी से एक पल में नस्ट हो जाएगी और जीवन के साथ , पृथ्वी भी नष्ट हो जाएगी एक प्रकाशवर्ष या लाइटईयर का मतलब यह होता है कि जितनी दूसरी में प्रकाश लाइट 1 साल में पूरी करता है उसे प्रकाशवर्ष कहते हैं
बिग क्रंच थ्योरी
जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारा ब्रह्मांड लगातार फैलता जा रहा है और यह फैसला कब बंद होगा इसका अंदाज़ा किसी को नहीं है पर अगर हम बिग क्रंच थ्योरी के अनुसार चले तो इस थ्योरी का मानना है कि एक समय ऐसा आएगा जब ब्रह्मांड का फैलना बंद हो जाएगा और उस पॉइंट पर गुरुत्वाकर्षण के कारण पूरा ब्रह्मांड सिकुड़ने लगेगा और सिकुड़ते हुए छोटी सी बिंदु में समा जाएगा और पृथ्वी के साथ साथ पूरा ब्रह्माण्ड नष्ट हो जाएगा इस क्रिया को होने में अभी बहुत लंबा समय लगेगा इस समय का हमें अंदाजा भी नहीं है और जब समय आएगा तो यह प्रक्रिया भी इतनी जल्दी होगी इससे बचा नहीं जा सकेगा और संसार खत्म होने के बाद एक नई दुनिया शुरू होगी और ब्रह्माण्ड की यह बनने नष्ट होने की प्रक्रिया हमेशा ऐसे ही चलती रहेगी और पर दोस्तों इस थ्योरी के विपरीत एक और थ्योरी भी जानी जाती है जिसे की हीतडत के नाम से जाना जाता है इस थ्योरी के अनुसार हमारा ब्रह्मांड कभी भी फैलना बंद नहीं होगा और यह इतना फैल जाएगा कि सारे ,ग्रह, सितारे, सूर्य ,आकाश और गंगा एक दूसरे से बहुत दूर चले जाएंगे और अगर ऐसा हुआ तो हमारी पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि सितारों और सूरज के दूर जाने की वजह से हमारी पृथ्वी और हमें पर्याप्त गर्मी या नई ऊर्जा नहीं मिल पाएगी और जीवन का अंत हो जाएगा
सूर्य पर होने वाले फिस्फोट
सूर्य पर हमेशा अलग-अलग तरह के विस्फोट होते रहते हैं और उसमें से एक है सोलर फ्लेयर यह ऐसे चुंबकीय विस्फोट हैं जिनके कारण सभी एटॉमिक पार्टिकल्स धरती पर आजाते हैं और जो हमारे कम्युनिकेशन सिस्टम को बंद कर सकते हैं और हमारे ग्रह की सारी बिजली और टेक्नोलॉजी ठप कर सकते हैं यह सारा काम इन बिस्फोटक से निकले अट्मॉस पार्टिकल्स करते हैं जो कि सूर्य से निकलकर पृथ्वी की तरफ लगभग 64 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आते हैं तो यह हमेशा सूरज से निकलते रहते हैं पर हमारी धरती का चुंबकीय क्षेत्र हमे इनसे बचाता आया है पर अगर कोई सोलर फ्लेयर ज्यादा शक्तिशाली का हुआ तो वो पृथ्वी पर भारी तबाही मचा सकता है वो हमारे पूरे कम्युनिकेशन सिस्टम को बंद कर सकता है और हमारे टेक्नोलॉजी को ठप कर सकता है जिसके कारण हमारे गृह पर हमेशा के लिए अँधेरा छा जाएगा और हमारा गृह धीरे-धीरे मौत की आगोश में चले जाएगा


























































